Trimbak Mukut

Hindi FAQs

"त्र्यंबकेश्वर यह भारत के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक दिव्य ज्योतिर्लिंग है।"
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काल सर्प योग

काल सर्प योग व्यक्ति के जीवन पर कैसे प्रभावित होता है?
कालसर्प योग का प्रभाव व्यक्ति के जन्म कुंडली पर निर्भर करता है।
काल सर्प योग निवारण के उपाय क्या-क्या हैं?
कालसर्प योग के हानिकारक प्रभाव को कम करने के लिए ; "काल सर्प योग शांति पूजा" करनी चाहिए।
जन्म कुंडली मे कालसर्प दोष होने से क्या प्रभाव होता है?
व्यक्ति की कुंडली मे कालसर्प दोष होने से सम्भंधित व्यक्ति को बहुत सारी कठिनाइयोका सामना करना पड़ता है | वह व्यक्ति को आर्थिक, शारीरिक और मानसिक समस्याओंसे गुजरना पड़ सकता है |
काल सर्प दोष पूजा किसे करनी चाहिए?
जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली मे यह दोष है, उसे काल सर्प योग शांति अनुष्ठान करना चाहिए।
काल सर्प योग पूजा मे किस मंत्रो का जाप होता है?
श्री सर्प सूक्तम, महामृत्युंजय मंत्र, विष्णु पंचाक्षरी मंत्र जैसे मंत्रों का जाप इस दोष को मिटाने वाले शांति पूजा मे होता है।
काल सर्प योग शांति पूजा करने के लिए कितनी दक्षिणा आवश्यक है?
दक्षिणा मुख्य रूप से काल सर्प योग शांति पूजा या शांति हवन के लिए आवश्यक सामग्री पर पूरी तरह निर्भर करती है।
काल सर्प योग शांति पूजा कब करनी चाहिए?
नाग पंचमी के दिन काल सर्प योग शांति पूजा करना अधिक उचित है।

त्रिपिंडी श्राद्ध

त्र्यंबकेश्वर मंदिर परिसर में पूर्वजों की असंतुष्ट आत्मा को शांत करने के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध विधी करने से इस दोष से छुटकारा प्राप्त होता है ।
श्राद्ध का अनुष्ठान यह एक योगदान है, जो मृत पूर्वजो की आत्माओं को शांत करने के लिए किया जाता है।
पंचमी, अष्टमी, एकादशी, तेरस, चौदस या श्रावण, कार्तिक पौष, माघ, फाल्गुन, वैशाख जैसे महीनो में त्रिपिंडी श्राद्ध करना चाहिए।
पितृ दोष के वजह से होने वाले सभी समस्याओं को दूर करने के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध करने का सुझाया जाता है।
त्रिपिंडी श्राद्ध इस विधी को पूरा करने के लिए एक दिन की आवश्यकता होती है| यदि अन्य पुजाओ के साथ यह अनुष्ठान किया जाए तो ज्यादा समय की आवश्यकता है।
आम तौर पर, त्रिपिंडी श्राद्ध अनुष्ठान परिवार के मुख्य पुरुष द्वारा किया जाता है।
श्राद्ध अनुष्ठान करते समय, कुछ बताये गए पदार्थो के जैसे की प्याज, लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए।
तर्पणम् पूर्वजो के असंतुष्ट आत्माओ को तृप्त करने के लिए किया जाता है| जिसमे उन्हें भोजन, चावल, तिल और जल अर्पित करते है।
किसी को भी उनके पूर्वजो के असंतुष्ट आत्माओ के लिए इस श्राद्ध या पिंड दान की विधी करने का अधिकार और अनुमति है।

महामृत्युंजय जाप

महामृत्युंजय जाप माला विधी को पूरा करने मे ७ से ८ घंटे की आवश्यक हैं।
इस शक्तिशाली मंत्र का जाप व्यक्तिगत रूप से या सामूहिक रूप से करते हैं।
प्रमुख देवता शिवजी के आशीर्वाद से लंबे और स्वास्थ जीवन की प्राप्ति के लिए यह अनुष्ठान किया जाता है।
श्रावण, कार्तिक जैसे शुभ महीने के दौरान या किसी भी सोमवार को महामृत्युंजय मंत्र जाप करना उचित है ।
इस शक्तिशाली मंत्र का जाप सुबह ४ :०० बजे करना अधिक लाभदायी है।
महामृत्युंजय जाप विधी के लिए आवश्यक सामग्री पर उसका मूल्य निर्भर करता है।

नारायण नागबली

नारायण नागबली पूजा हमारे पूर्वजों की असंतुष्ट आत्माओं को मोक्ष दिलाने के लिए की जाती है| जबकि नागबली पूजा साँप के दोष से छुटकारा पाने के लिए की जाती है।
नारायण नागबली पूजा करने के लिए तीन दिनों की आवश्यकता होती है, लेकिन पूजा को को पूरा करने के लिए प्रति दिन केवल ३ से ४ घंटे आवश्यक है ।
अनुष्ठान करने वाले उपासको को नए पोशाख पहनाना अनिवार्य है| पुरुषों के लिए सफेद धोती और महिलाओँ के लिए सफ़ेद रंग की साड़ी अनिवार्य है।
नारायण नागबली पूजा करने की कुल मूल्य (दक्षिणा) पुरोहितों द्वारा सुझाई गई पूजा के लिए लगने वाली सामग्री पर निर्भर है।
त्र्यंबकेश्वर मंदिर परिसर में नारायण नागबली अनुष्ठान किया जाता है जिसे, कुल 3 दिनों की आवश्यकता है।
नही, क्योकि पितृ दोष के निवारण के लिए मोक्ष नारायण नागबली पूजा होम के साथ प्रदान की जाती है।

कुंभ विवाह:

मंगल दोष किसी व्यक्ति की कुंडली मे होने से उन्हें विवाह संबंधी समस्याओ का सामना करना पड़ सकता है| इसके लिए कुम्भ विवाह की विधी करना अनिवार्य है।
मांगलिक कन्या से शादी करने से उनके दांपत्य जीवन मे अनहोनी, तनाव निर्माण होता है।
कुंभ विवाह का अनुष्ठान एक सामान्य शादी की तरह है| अगर किसी के कुंडली मे यह दोष है, तो उन्हें कुंभ विवाह करने की आवश्यकता है।
वैदिक ज्योतिष के अनुसार, कन्या के लिए मांगलिक दोष २८ साल की उम्र के बाद किसी के जन्म कुंडली में समाप्त होकर उसका निवारण किया जाता है।
यह मन जाता है की मांगलिक व्यक्ति अपने लक्ष्यों पर केंद्रित होता है, और उसका ज्यादा उत्साही स्वभाव होता है।
इस दोष को किसी भी व्यक्ति के जन्म कुंडली मे पाया जाता है, जहां मंगल २,४,७ वें, ८ वें या १२ वें घर में होता है।

रुद्र अभिषेक

ज्योतिर्लिंग का विशिष्ट पदार्थो से (पंचामृत) अभिषेक करना ही रुद्र अभिषेक होता है।
रुद्र अभिषेक विशिष्ट सामग्री जैसे मधु, दही, दूध, घी (पंचामृत) के साथ श्री शिव लिंग पर मंत्रोच्चारों के साथ किया जाता है।
व्यक्ति के जीवन की हर समस्या को खत्म करना और किसी के जीवन मे खुशियां लाना यह मुख्य फायदा इस अनुष्ठान को करने से होता है।
११ पुरोहितों के साथ त्र्यंबकेश्वर मंदिर मे रुद्र अभिषेक करने के साथ ही रुद्रम सूक्तम का पाठ और रूद्र अभिषेक घर मे करने से अधिक लाभदायी है।
रूद्राअभिषेक करते समय चंपक / पीले चम्पक के फूल का उपयोग न करे, क्योंकि यह भगवान त्र्यंबकेश्वर का अनचाहा फूल है ।
महिलाओं को शिवलिंग को स्पर्श करने की अनुमति नहीं है, लेकिन वे पूजा कर सकती हैं और रुद्र अभिषेक करते हुए शिव लिंग को जल अर्पित कर सकती हैं।
रूद्र अभिषेक करते समय अर्पित किया गया दूध का इस्तेमाल प्रशाद के रूप मे प्राशन किया जा सकता है।

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