पूर्वजों की असंतुष्ट इच्छाशक्ति से होने वाले दोष का निवारण कैसे करे?
त्र्यंबकेश्वर मंदिर परिसर में पूर्वजों की असंतुष्ट आत्मा को शांत करने के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध विधी करने से इस दोष से छुटकारा प्राप्त होता है ।
त्रिपिंडी श्राद्ध क्यों करना चाहिए?
श्राद्ध का अनुष्ठान यह एक योगदान है, जो मृत पूर्वजो की आत्माओं को शांत करने के लिए किया जाता है।
त्रिपिंडी श्राद्ध करने के लिए शुभ दिन कोनसा है?
पंचमी, अष्टमी, एकादशी, तेरस, चौदस या श्रावण, कार्तिक, पौष, माघ, फाल्गुन, वैशाख जैसे महीनों में त्रिपिंडी श्राद्ध करना चाहिए।
क्या पितृ दोष को मिटाने के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध अनुष्ठान किया जाता है?
पितृ दोष के वजह से होने वाले सभी समस्याओं को दूर करने के लिए त्रिपिंडी श्राद्ध करने का सुझाया जाता है।
त्रिपिंडी श्राद्ध अनुष्ठान को पूरा होने मे कितना समय आवश्यक है?
त्रिपिंडी श्राद्ध इस विधी को पूरा करने के लिए एक दिन की आवश्यकता होती है| यदि अन्य पुजाओं के साथ यह अनुष्ठान किया जाए तो ज्यादा समय की आवश्यकता है।
त्रिपिंडी श्राद्ध संस्कार किसके द्वारा किया जाना चाहिए?
आम तौर पर, त्रिपिंडी श्राद्ध अनुष्ठान परिवार के मुख्य पुरुष द्वारा किया जाता है।
त्रिपिंडी श्राद्ध करते समय किसी व्यक्ति को क्या करने की अनुमति नहीं है?
श्राद्ध अनुष्ठान करते समय, कुछ बताए गए पदार्थों जैसे की प्याज, लहसुन का सेवन नहीं करना चाहिए।
तर्पणम् विधी किसे कहते है?
तर्पणम् पूर्वजों के असंतुष्ट आत्माओं को तृप्त करने के लिए किया जाता है| जिसमें उन्हें भोजन, चावल, तिल और जल अर्पित करते हैं।
क्या बेटी पिंड दान कर सकती है?
किसी को भी उनके पूर्वजों के असंतुष्ट आत्माओं के लिए इस श्राद्ध या पिंड दान की विधी करने का अधिकार और अनुमति है।