Trimbak Mukut

त्र्यंबकेश्वर में काल सर्प दोष निवारण पूजा करे।
कालसर्प दोष के बारे में जानिए।

"त्र्यंबकेश्वर में कालसर्प दोष निवारण पुजा करने से होने वाले लाभ।"
Trimbak Mukut
काल सर्पयोग
काल सर्पयोग
KALSARPA_POOJA

व्यक्ति के कर्म या उसके द्वारा किए गए कुछ पिछले कर्मों के परिणामस्वरूप कालसर्प योग दोष कुंडली में होना माना जाता है। इसके अलावा, यदि व्यक्ति ने अपने वर्तमान या पिछले जीवन में सांप को नुकसान पहुंचाया हो तो भी काल सर्प योग दोष की निर्मिति होती है।

हमारे मृत पूर्वजों की आत्माए नाराज होने से भी यह दोष कुंडली में पाया जाता है। संस्कृत में काल सर्प दोष द्वारा कई सारे निहितार्थ सुझाए गए है। यह अक्सर कहा जाता है कि अगर काल सर्प दोष निवारण पूजा नहीं की गयी तो, संबंधित व्यक्ति के कार्य को प्रभावित करेगा और सबसे कठिन बना देगा। नासिक के त्र्यंबकेश्वर मंदिर क्षेत्र में बहुत सारे ताम्रपत्र धारी ज्ञानि पंडितजी हैं जो इस तरह के दोष को पहचान कर उसका निवारण कर सकते है। वैदिक ज्योतिषि के अनुसार, जो लोग इस दोष से पीड़ित है उनकी पहचान उनके परिवारों और समाज के लिए महत्वपूर्ण है।

महत्वपूर्ण सूचना: प्रिय यजमान (अतिथि) कृपया ध्यान दें कि ये त्र्यंबकेश्वर पूजा त्र्यंबकेश्वर में केवल ताम्रपत्र धारक पंडितजी द्वारा की जानी चाहिए, वे प्रामाणिक हैं और युगों से प्राधिकार रखते हुए त्रिम्बकेश्वर मे अनेक पुजाये करते आ रहे है । आपकी समस्या और संतुष्टि का पूर्ण समाधान यहाँ होगा। हम चाहते हैं कि आप सबसे प्रामाणिक स्रोत तक पहुंचें।

कालसर्प पूजा :

REMEDIES FOR KAL SARPAYOG

कालसर्प पूजा त्र्यंबकेश्वर में ताम्रपत्र धारक पंडितजी के घर पर की जाती है। त्र्यंबकेश्वर यह एक प्राचीन हिंदू मंदिर है जो नासिक जिले के महाराष्ट्र में स्थित है। त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिर को सभी शक्तपीठो के रूप में से ही एक माना जाता है, और१२ ज्योतिर्लिंग में गिना जाता है। कालसर्प दोष मुख्यतः रूप से नकारात्मक ऊर्जाओं से संबंधित है, जो मनुष्य के शारीरिक, और मानसिक स्थिति को प्रभावित करता है। यह कालसर्प पूजा वैदिक शांति के अनुसार ही करनी चाहिए।

कालसर्प दोष पूजा विधि

कालसर्प पूजा की विधी भगवान शिव (त्र्यंबकेश्वर) की पूजा के साथ शुरू होती है और फिर गोदावरी नदी में पवित्र स्नान करते है जिससे, आत्मा और मन की शुद्धि का संकेत माना जाता है, उसके बाद, मुख्य पूजा शुरूवात होती है।

उपासक को एक प्राथमिक संकल्प पदान करना होता है और फिर पूजा विधी की शुरुआत भगवान वरुण के पूजन के साथ होती है और इसके बाद भगवान गणेश पूजन होता है। भगवान वरुण के पूजन में कलश पूजन होता है जिसमें पवित्र गोदावरी नदी के जल को देवता के रूप में पूजा जाता है। यह कहा जाता है कि सभी पवित्र जल, पवित्र शक्ति, और देवी, देवता की पूजा इस कलश के पूजा द्वारा की जाती है।

  • प्रथम श्री गणेश भगवान का पूजन होता है।
  • इसके पश्चात नागमंडल पूजा की जाती है, जिसमें १२ नागमूर्ति होती है।
  • इन १२ नागमूर्तियोंमें १० मुर्तिया चांदी से निर्मित तथा १ सोने से एवं एक नागमूर्ति ताम्बे की होना अनिवार्य है।
  • फिर हर नाग को नागमंडल में बिठाया जाता है जिसे लिंगतोभद्रमण्डल भी कहा जाता है।
  • लिंगतोभद्रमण्डल की विधिवत प्राणप्रतिष्ठा करके षोडशोपचार पूजन किया जाता है।
  • इसके पश्चात नाग मूर्ति का विसर्जन किया जाता है।
  • राहु-केतु, सर्पमंत्र, सर्पसूक्त, मनसा देवी मन्त्र एवं महामृत्युंजय मंत्र की माला से जाप करके मन्त्रोद्वारा हवनादि किया जाता है।
  • हवाना के बाद जिस प्रतिमा से कालसर्प का दोष दूर होता है उसपर अभिषेक किया जाता है, और उसे पवित्र जलाशय या नदीमे विसर्जित किया जाता है।
  • तीर्थ में स्नान करके, पूजा के दौरान धारण किए हुए वस्त्र वहीं छोड़ दिए जाते है तथा साथ में लाए हुए नए वस्त्र धारण किये जाते है।
  • इसके पश्चात ताम्रनिर्मित सर्प मूर्ति को ज्योतिर्लिंगको अर्पण करके, सुवर्ण नाग की प्रतिमा मुख्य गुरूजी एवं अन्य नागमूर्तियाँ उनके सहयोगी गुरूजी को दिए जाते है।

कालसर्प दोष की अधिक जानकारी:

किसी भी व्यक्ति के जीवन में काल सर्प योग की संभावना तभी दिखाइ देती है, जब ग्रहो (राहु और केतु ) की स्थिति बदल कर, वो बाकि सब ग्रहो के बिच में आ जाते है। दोनों ग्रह जैसे राहु और केतु को, "साँप" और "सांप की पूंछ" माना जाता है। कुल १२ प्रकार के विभिन्न काल सर्प योग है, जैसे अनंत, कुलिका, वासुकि, शंखपाल, पद्म, महापद्म, तक्षक, कर्कोटक, शंखचूर, घटक, विषधर और शेष नाग योग। ऐसा कहा जाता है कि, जिस व्यक्ति के कुंडली में यह दोष रहता है उसे सांपों और साँप (सर्प) से काटने के सपने देखता है।

कालसर्प दोष कुंडली में होने के लक्षण:

SIGNS OF KAL SARPA YOG

यदि किसी व्यक्ति को पता नहीं की वे यह दोष से पीड़ित है या नहीं, या वो अनिश्चित है, तो निचे दिए गए कई लक्षण से कुंडली में स्थित काल सर्प योग के बारे में पता चल सकता है:

  • जब व्यक्ति के जन्म कुंडली में काल सर्प योग रहता है , तो वो अक्सर मृत परिवार के सदस्य या मृत पूर्वजो को सपने में देखता है। कुछ लोग यह भी देखते है कि कोई उन्हें गला घोट कर मार रहा है।
  • यह देखा गया है की, इस योग से प्रभावित व्यक्ति का स्वभाव सामाजिक होता हैं और उन्हें किसी चीज का लालच नहीं होता है।
  • जिन्हे सांपों से बहुत डर लगता है, उन्हें भी इस दोष से प्रभावित के रूप में जाना जाता है, यहां तक कि वे अक्सर सांप के काटने के सपने देखते हैं। जो व्यक्ति इस दोष से पीड़ित है, उस व्यक्ति को अपने जीवन में बहुत संघर्ष करना पड़ता है और आवश्यकता के समय अकेलापन महसूस होता है।
  • व्यापार पर बुरा असर होना। 
  • ब्लडप्रेशर जैसी रक्त से संबधित बीमारियां, गुप्त शत्रु से परेशानी होना।  
  • सोते समय कोई गला दबा रहा हो ऐसा प्रतीत होना।
  • स्वप्न में खुदके घर पर परछाई दिखना।
  • नींद में शरीर पर साँप रेंगता होने का अहसास होना।
  • जीवनसाथी से विवाद होना।
  • रात में बार-बार नींद का खुलना।
  • स्वप्न में नदी या समुद्र दिखना।
  • पिता और पुत्र के बीच विवाद होना।
  • स्वप्न में हमेशा लड़ाई झगड़ा होते दिखना।
  • मानसिक परेशानी, सिरदर्द, त्वचारोग होना।

यह भी कहा जाता है कि, कुछ लोगों को एयरोफोबिया ( अँधेरे से डर) भी होता है। किसी की भी कुंडली में इस प्रकार के योग को ठीक करने के लिए, विशेषज्ञ या पंडितजी से काल सर्प योग शांति पूजा करना आवश्यक है।

कालसर्प योग प्रभाव:

काल सर्प योग के कुछ ऐसे कारण भी हैं, यदि कोई भी व्यक्ति सांपों को नुकसान पहुंचाता है, तो उसे अपने अगले जन्म में काल सर्प योग दोष से सामना करना पड़ता है। वैदिक पुराण के अनुसार, जब ग्रहों की स्थिति बदल कर सभी सात ग्रह "राहु" और "केतु" नामक ग्रह में आते हैं, तब काल सर्प योग निर्माण होता है। यह दोष वैदिक पुराणों में सुझाए गए किसी भी अन्य प्रकार के दोष की तुलना में अधिक हानिकारक है।

कालसर्प योग दोष की अवधि:

Kalsarp Yog

हिंदू धर्म के अनुसार, यह कहा जाता है की परिणाम हमारे पिछले कार्य पर निर्भर होते है, मतलब जो हम कार्य करते है उसका फल हमें बाद में मिलता है। यदि कोई व्यक्ति ने अपने जीवनकाल में किसी जानवर या सांप की मृत्यु का कारण बना है, तो उसे अपने अगले जीवन में काल सर्प दोष समस्याओ से सामना करना होगा। शास्त्रों के अनुसार, कालसर्प योग शांति पूजा निवारण करने तक यह योग दोष वह व्यक्ति के कुंडली में रहता हैं |

कालसर्प दोष के निवारण उपाय :

  • कालसर्प दोष के कई उपाय है जो इस दोष को पूरी तरह नहीं ख़त्म करते लेकिन उसका नकारात्मक प्रभाव कम करते है:
  • जैसे रोज "महामृत्युंजय मंत्र " ( " ॐ त्र्यम्बकं यजामहे, सुगन्धिं पुष्टिवर्धनम्।, उर्वारुकमिव बन्धनान्मृ, त्योर्मुक्षीय मामृतात् ॥")
  • या " रूद्र मंत्र" का १०८ बार जाप करना, एक प्रभावी तरिका है। कुछ लोग "पंचाक्षरी मंत्र" (ॐ नमः शिवाय) का भी जाप करते है जिससे इस मंत्र का बुरा असर काम होता है।
  • दूसरा उपाय यह है की, रोज अकीक की लकड़ी को एक हात में लेकर, बीज मंत्र का १०८ बार जाप करना।
  • हर सोमवार को भगवान शिवा को रूद्र अभिषेक समर्पित करना।
  • जो व्यक्ति इस दोष से पीड़ित है उसे रोज भगवान विष्णु की साधना करनी चाहिए, जिससे कालसर्प दोष के हानिकारक प्रभाव कम होते है।
  • हर शनिवार को पीपल के पेड़ को पानी डालना चाहिए जिससे काल सर्प दोष से निर्मित समस्याएं कम होती है।

कालसर्प दोष के प्रकार :

वैदिक ज्योतिष अनुसार, विभिन्न कालसर्प योग के अलग-अलग प्रकार हैं। उनके प्रकारों की तरह अलग अलग प्रभाव है। कुल 12 प्रकार के कालसर्प योग नीचे दिए गए हैं:

१.अनंत कालसर्प दोष:

जब ग्रह राहु और केतु कुंडली के प्रथम और सातवे स्थान में स्थित होते हैं, तो अनंत कालसर्प योग बनता है। इस योग से प्रभावित व्यक्ति को मानसिक के साथ-साथ शारीरिक समस्याएं का भी सामना करना पड़ता है, और उसे कानूनी मुद्दों और सरकार से संबंधित मुद्दों में भी शामिल होना पड़ सकता है। अक्सर देखा गया है की, ऐसा व्यक्ति जो इस अनंत कालसर्प योग से पीड़ित है, वह व्यापक सोच वाला होता है।

२.कुलिक कालसर्प दोष:

जब ग्रह राहु और केतु कुंडली के दूसरे और आठवे स्थान में स्थित हों तो कुलिक काल सर्प योग बनता है। इस योग से प्रभावित व्यक्ति को वित्तीय समस्याओं से सामना करना पड़ता है, चीजों को हासिल करने के लिए संघर्ष करना पड़ता है। अक्सर देखा गया है की, उस व्यक्ति का समाज से अच्छा संबंध नहीं होता है।

३.वासुकि कालसर्प दोष:

जब ग्रह राहु और केतु जन्म कुंडली के तीसरे और नौवें स्थान पर स्थित होते हैं, तो वासुकी काल सर्प योग होता है। इस योग से प्रभावित व्यक्ति को अपने जीवन में संघर्ष करना पड़ता है।

४.शंखपाल कालसर्प दोष:

ग्रहों की स्थिति जहां राहु चौथे घर में और केतु कुंडली में दस वें घर में होती है, तो शंखपाल कालसर्प योग होता है। इस शंखपाल काल सर्प योग के प्रभाव के कारण, व्यक्ति को कुछ आर्थिक और मानसिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है। रिश्तेदारों के संबंधित मामलों में कठिनाइयों हो सकती है।

५.पद्म कालसर्प दोष

जब कुंडली के पांच वें और गयारह वें घर में राहु और केतु स्थित होते हैं, तो यह पद्म कालसर्प योग बनता है। पद्म कालसर्प योग के कारण, संबंधित व्यक्ति को समाज में अपमानित महसूस कर सकता है, और उसे बीमारियों के कारण पितृत्व संबंधी समस्याओं का सामना करना पद सकता है।

६.महा पद्म कालसर्प दोष

जब राहु और केतु को जन्म कुंडली में छटे और बारह वें स्थान पर होते है , तब महा पद्म कालसर्प योग का निर्माण होता है। इस योग से पीड़ित व्यक्ति को कुछ शारीरिक समस्याओं का भी सामना करना पड़ सकता है।

७.तक्षक कालसर्प दोष

जब राहु और केतु जैसे ग्रहों की स्थिति, प्रथम और सातवे स्थान पर होते है, यह दोष की निर्मिति होती है, यह दोष अनंत कालसर्प दोष के ठीक विपरीत है। इस योग से पीड़ित व्यक्ति अपने विवाहित जीवन में संघर्ष करना पड़ सकता है, और यह मानसिक तनाव का कारण बनता है।

८.शंखचूड़ कालसर्प दोष

इस प्रकार का योग तब बनता है जब राहु और केतु जन्म कुंडली में नौ वें और तीसरे स्थान पर होंते है। यह दोष से पीड़ित व्यक्ति को जीवन में कोई खुशी नहीं मिलती है।

९.पातक कालसर्प दोष

पातक काल सर्प योग तब होता है जब कुंडली में राहु और केतु जैसे ग्रहो का स्थान दस वें और चौथे स्थान पर होता है। इस योग के कारण, परिवार के बहस होती है।

१०.विषधर कालसर्प दोष:

जन्मकुंडली में पांच वें और ग्यारह वें घर में राहु और केतु की स्थिति होने से, विषधर कालसर्प योग का निर्माण होता है। विषधर कालसर्प योग के प्रभाव से शिक्षा से संबंधित, और स्वस्थ संबंधित समस्याएं होती है।

११.शेषनाग कालसर्प दोष:

इस योग में ग्रहों की स्थिति महा पद्म कालसर्प योग में ग्रहों की स्थिति के विपरीत होती है। इस दोष के कारन कोई भी व्यक्ति अनावश्यक रूप से किसी कानूनी परेशानी में फंस सकता है और परिणामी उसका मानसिक तनाव बढ़ सकता है। इसलिए, यदि किसी व्यक्ति की कुंडली में यह दोष दिखाइ दे, तो तत्काल उसके लिए कालसर्प शांति पूजा प्रदान करनी चाहिए, और उसे चिंतित होने की आवश्यकता नहीं है क्योकि यदि किसी की जन्म कुंडली में अन्य ग्रहों की व्यवस्था शुभ है, तो चीजें उसके लिए अच्छी होंगी।

१२.कर्कोटक कालसर्प योग

"कर्कोटक कालसर्प योग" तब बनता है जब कोई किसी की कुंडली/कुंडली में आठवें स्थान पर होता है और केतु दूसरे स्थान में होता है और अन्य ग्रह इन दोनों ग्रहों के बीच होते हैं। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में आठवां स्थान अचानक लाभ का संकेत देता है।
यदि यह योग यहाँ है तो जातक को पुश्तैनी धन प्राप्त करना कठिन हो सकता है। पेंशन, भत्ता या बीमा राशि प्राप्त करने में लंबा समय लगने की संभावना है। ऐसी जाति को मित्रों द्वारा धोखा दिया जा सकता है।
कई जगहों पर कर्ज का निपटारा हो सकता है। अचानक आर्थिक संकट उत्पन्न हो सकता है। जातक की आकस्मिक मृत्यु की भी संभावना है।

कालसर्प पूजा मूल्य:

काल सर्प योग के हानिकारक प्रभावों से मुक्ति पाने के लिए, एकमात्र उपाय कालसर्प पूजा है, जिसे बाकी सब ग्रहो को शांत करने और उन्हें अपने स्थानों पर वापस लाने के लिए किया जाता है। काल सर्प पूजा का मूल्य पूरी तरह पूजा, ब्राह्मण , रुद्र अभिषेक, राहु-केतु जाप और पूजा को आवश्यक अन्य चीजों पर निर्भर है। सामूहिक (समूह) पूजन के लिए पुरोहितों द्वारा सुझाए गए समाग्री के अनुसार काल पूजा मूल्य भी बदल जाता है।

कालसर्प योग दोष पूजा फायदे

  • नौकरीमे शोहरत और ऊँचे पदका लाभ होना।
  • व्यापार में लाभ होना।
  • पति पत्नी में मतभेद मिट जाना।
  • मित्रों से लाभ होना।
  • आरोग्य में लाभ होना।
  • परिवार में शान्ति आना।
  • उत्तम संतान की प्राप्ति होना।
  • सामजिक छवि में सुधार होना।
  • कालसर्प योग दोष पूजा दक्षिणा
  • पूजा में उपयोग आनेवाली सामग्री पर दक्षिणा आधारित होती है।

कालसर्प योग दोष पूजा नियम

  • यह पूजा करने से एक दिन पहले त्र्यंबकेश्वर में आना जरुरी है।
  • यह पूजा अकेला व्यक्ति भी कर सकता है, किन्तु गर्भवती महिला इसे अकेले नहीं कर सकती।
  • इस योग से ग्रसित व्यक्ति बालक होने पर उसके माता-पिता इस पूजा को एक साथ कर सकते है।
  • पवित्र कुशावर्त तीर्थ पर जाकर स्नान करके पूजा करने के लिए नए वस्त्र धारण करना आवश्यक है।
  • इस पूजा को करने के लिए पुरुष धोती, कुडता एवं महिला सफेद साडी पहनती है।

FAQ's

काल सर्प योग व्यक्ति के जीवन पर कैसे प्रभावित होता है?
कालसर्प योग का प्रभाव व्यक्ति के जन्म कुंडली पर निर्भर करता है।
काल सर्प योग निवारण के उपाय क्या-क्या हैं?
कालसर्प योग के हानिकारक प्रभाव को कम करने के लिए "काल सर्प योग शांति पूजा" करनी चाहिए।
जन्म कुंडली मे कालसर्प दोष होने से क्या प्रभाव होता है?
व्यक्ति की कुंडली मे कालसर्प दोष होने से संबंधित व्यक्ति को बहुत सारी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। वह व्यक्ति आर्थिक, शारीरिक और मानसिक समस्याओं से गुजर सकता है।
काल सर्प दोष पूजा किसे करनी चाहिए?
जिस व्यक्ति की जन्म कुंडली में यह दोष है, उसे काल सर्प योग शांति अनुष्ठान करना चाहिए।
काल सर्प योग पूजा में किस मंत्रों का जाप होता है?
श्री सर्प सूक्तम, महामृत्युंजय मंत्र, विष्णु पंचाक्षरी मंत्र जैसे मंत्रों का जाप इस दोष को मिटाने वाले शांति पूजा में होता है।
काल सर्प योग शांति पूजा करने के लिए कितनी दक्षिणा आवश्यक है?
दक्षिणा मुख्य रूप से काल सर्प योग शांति पूजा या शांति हवन के लिए आवश्यक सामग्री पर पूरी तरह निर्भर करती है।
काल सर्प योग शांति पूजा कब करनी चाहिए?
नाग पंचमी के दिन काल सर्प योग शांति पूजा करना अधिक उचित है। कुछ तिथियों पर, ताम्रपत्र धारी गुरूजी की सलाह पर काल सर्प योग शांति पूजा की जाती है।


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