रूद्र अभिषेक यह सर्वोच्च देवता भगवान शिव को समर्पित धार्मिक अनुष्ठान है, जो शक्तिशाली मंत्रो की उच्चारण द्वारा किया जाता है। रूद्र अभिषेक भगवन शिव को समर्पित करने वाले व्यक्ति की सभी इच्छाए पूरी होती है।
यह माना जाता है की, कोई भी अनुष्ठान किसी पवित्र स्थान पर करना ही उचित रहता है तो त्र्यंबकेश्वर मंदिर में यह अनुष्ठान करना अधिक लाभदायक है। महाराष्ट्र, नासिक में स्थित त्र्यंबकेश्वर मंदिर १२ ज्योतिर्लिंग में से एक है, जो "तीर्थ क्षेत्र" के रूप मे जाना जाता है, तो यहाँ अनुष्ठान करना पूजा को अधिक पवित्र बना देता है। भगवान शिव के आशीर्वाद से पूजा करने वाले उपासक के सभी समस्याएं दूर हो जाती है। भगवन शिव सभी आदि भगवानो में से प्रमुख देवता है।रूद्र अभिषेक प्रदान करके भगवान शिव का आशीर्वाद प्राप्त होता है जिससे पूजा करने वाले व्यक्ति का जीवन सुखी हो जाता है। रूद्र अभिषेक करने से समृद्धि, खुशहाली, इच्छा पूर्ति होती है और उस के साथ- साथ बुरी उर्जाओ का नाश होता है।
रूद्र अभिषेक करते समय शिवलिंग को पंचामृत से स्नान करते है, पंचामृत घी, दूध, शक्कर, मधु , दही को मिलकर बनता है। यह अनुष्ठान केवल अधिकृत पुरोहित और त्र्यंबकेश्वर गुरूजी ही त्र्यंबकेश्वर मंदिर में कर सकते है। रूद्र अभिषेक करते समय विभिन्न सूक्तम और मंत्रो का जाप किया जाता है जैसे शिव सूक्तम, रूद्र महिमा स्त्रोत्र, महामृत्युंजय मंत्रजाप, आदि। यह अनुष्ठान करते समय विभिन्न पवित्र पान (जैसे बेल पत्र ), दूध, पानी और गन्ने का रस का भी शिव लिंग पर अभिषेक करते है।
जो त्र्यंबकेश्वर गुरूजी और पुरोहित मंत्र का पठन करते है वे संस्कृत भाषा में होते है जो की प्राचीन काल में संचार के लिए सभी भगवानो द्वारा इस्तेमाल होती थी। पुरोहित संस्कृत मंत्रो का पठन स्पष्ट रूप से करते है जिससे वातावरण में कंपन निर्माण होता है, और बुरी उर्जाओ का नाश होता है। यह मंत्रो का जाप करने से उपासक के मन को शांति मिलती है और उसके जीवन में खुशिहाली आने लागती है।
हिंदू शास्त्रों में की जाने वाली "रूद्र अभिषेक" यह एक प्राचीन प्रथा है। 'रूद्र' यह शब्द भगवान शिव के तांडव रूप को दर्शाता है, और 'पूजा' उनकी की गयी साधना को। यह अनुष्ठान करने से उपासक को आंतरिक शांति और तृप्ति प्राप्त होती है। इस अनुष्ठान में भगवन शिव के रौद्र रूप की पूजा की जाती है जो की सभी बुरी शक्तिया, और उर्जाए का सर्वनाश करती है। ज्योतिष शास्त्र मे शास्त्रों ने कुछ लौकिक दोषों के लिए एक आसान उपाय के रूप में इस अनुष्ठान को भगवान शिव को समर्पित करने का सुझाव दिया है।
यह एक धार्मिक अनुष्ठान है जो भगवान शिव को समर्पित किया जाता है। जब कोई भगवान शिव को रूद्र अभिषेक जैसे अनुष्ठान करके खुश करता है तो वे उनपर आशीर्वाद प्रदान करते है। भगवान शिव के आशीर्वाद से किसी भी व्यक्ति के जीवन की सभी समस्याएं, ख़ुशी और स्थिरता , मन की शांति में बदल जाती है।
रूद्र अभिषेक पूजा स्पटिक (क्रिस्टल) से बने या काले पत्थर से बनी शिवलिंग पर की जाती है। जो भी मंत्र के जाप के साथ पंचामृत का अभिषेक शिव लिंग पर होता है, वो सब शिव लिंग पे अवशोषित होता है। रूद्र अभिषेक प्रसशंसा और प्रेम द्वारा भगवान शिव को समर्पित होता है। सभी आधिकारिक पुरोहित क्र मार्गदर्शन में यह अनुष्ठान को प्रदान किया जाता है। रूद्र अभिषेक करते समय मंत्र का जाप करना बहोत पवित्र और ध्यानस्थ माना जाता है, जिसके प्रभाव से पूजा की पवित्रता बढ़ती है। रूद्र अभिषेक जैसे अनुष्ठानो को नासिक में स्थित त्र्यंबकेश्वर महादेव मंदिरमें करना अन्य स्थान पे करने से अधिक लाभदायक है।
रुद्राष्टाध्यायी का पाठ करते समय पाँच तथा आठवाँ अध्याय को “नमक चमक पाठ” कहा जाता
है। नमक चमक पाठ के ११ आवर्तन पुरे होने पर इसे “एकादशिनि रुद्री” पाठ कहा जाता है तथा
एकादशिनी रुद्री पाठ के ११ आवर्तन पूर्ण होने पर इसे “लघु रुद्री” पाठ कहा जाता है। प्राचीन
मान्यता के अनुसार लघुरूद्री या “लघुरूद्राभिषेक”| कराने पर साधक को मोक्षप्राप्ति होती है।
ॐ नमः भगवतेः रुद्राय |
ॐ नमः शिवाय |
ॐ नम: शम्भवाय च मयोभवाय च नम: शंकराय च
मयस्कराय च नम: शिवाय च शिवतराय च ॥ईशानः सर्वविद्यानामीश्व रः सर्वभूतानां ब्रह्माधिपतिर्ब्रह्मणोऽधिपति
ब्रह्मा शिवो मे अस्तु सदाशिवोय् ॥तत्पुरुषाय विद्महे महादेवाय धीमहि। तन्नो रुद्रः प्रचोदयात्॥
अघोरेभ्योथघोरेभ्यो घोरघोरतरेभ्यः सर्वेभ्यः सर्व सर्वेभ्यो नमस्ते अस्तु रुद्ररुपेभ्यः ॥वामदेवाय नमो ज्येष्ठारय नमः श्रेष्ठारय नमो
रुद्राय नमः कालाय नम: कलविकरणाय नमो बलविकरणाय नमः
बलाय नमो बलप्रमथनाथाय नमः सर्वभूतदमनाय नमो मनोन्मनाय नमः ॥सद्योजातं प्रपद्यामि सद्योजाताय वै नमो नमः ।
भवे भवे नाति भवे भवस्व मां भवोद्भवाय नमः ॥नम: सायं नम: प्रातर्नमो रात्र्या नमो दिवा ।
भवाय च शर्वाय चाभाभ्यामकरं नम: ॥यस्य नि:श्र्वसितं वेदा यो वेदेभ्योsखिलं जगत् ।
निर्ममे तमहं वन्दे विद्यातीर्थ महेश्वरम् ॥त्र्यम्बकं यजामहे सुगन्धिं पुष्टिबर्धनम् उर्वारूकमिव बन्धनान् मृत्योर्मुक्षीय मा मृतात् ॥
सर्वो वै रुद्रास्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु । पुरुषो वै रुद्र: सन्महो नमो नम: ॥
विश्वा भूतं भुवनं चित्रं बहुधा जातं जायामानं च यत् । सर्वो ह्येष रुद्रस्तस्मै रुद्राय नमो अस्तु ॥
कई पुराने शास्त्रों में लिखित है की, रूद्र अभिषेक अनुष्ठान ग्रहो के हानिकारक दोष का निवारण करता है। जिस व्यक्ति के जन्म कुंडली में ग्रहो की गलत स्थान है वह भगवान शिव के क्रोध से प्रभावित करती है। इसीलिए, ग्रहो से बने हानिकारक दुष्परिणामों को दूर करने के लिए, रूद्र अभिषेक करना उचित माना गया है।
कहा जाता है की, दोनों तरह की उर्जाए (सकारात्मक और नकारात्मक) वायुमंडल में होती है। सकारात्मक ऊर्जा ख़ुशी, समृद्धि, आनंद से जुडी है, और नकारात्मक ऊर्जा तनाव, बीमारिया, निंदा, आदि से संबंधित है।
इस अनुष्ठान को करने से सभी नकारात्मक उर्जाए सकारात्मक परिवर्तित हो जाती है, जिससे जीवन में खुशियाली छा जाती है।
त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में प्राचीन समय से
आधिकारिक तौर पर विशेष पण्डितजी द्वारा पूजा की जाती है, जिन्हे ताम्रपत्रधारी पण्डितजी कहा जाता है।
रुद्राभिषेक पूजा करने के लिए उचित समय एवं मुहूर्त की जानकारी त्र्यंबकेश्वर पण्डितजी बताते है। इस
पूजा के नियम आदि मालुम करने के, मुहूर्त देखकर आप त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग मंदिर में रुद्राभिषेक
पूजा कर सकते है|
पुरोहित संघ पण्डितजी आप को त्र्यंबकेश्वर में की जानेवाली सभी धार्मिक पुजाओंके बारेमें मार्गदर्शन प्रदान करते है। आपकी आवश्यकता के अनुसार पुरोहित संघ गुरुजीसे मार्गदर्शन पाकर पूजा के एक दिन पहले आपको त्र्यंबकेश्वर में आना जरुरी है। आपका मार्गदर्शन हो इस उद्देश्य से पुरोहित संघ संस्था द्वारा अधिकृत वेबसाईट बनाई गयी है, कृपया इसका लाभ उठाए।
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